फूँक डालूँगा किसी रोज़ ये दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
अगर नींद आ जाये तो सो भी लिया करो,
रातों को जगने से मोहब्बत लोटा नहीं करती।
मौत ने आँखें मिलाई थी कई बार मुझसे,
पर तेरा दीवाना किसी और पे मरता कैसे।
थक गया है चाहतों का वजुद अब कोई,
अच्छा भी लगे तो हम इजहार नही करते।
पहले सौ बार कभी इधर कभी उधर देखा है,
तब कहीं डर के तुझे एक नज़र देखा है।
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