ये कैसा तुम्हारा ख्याल है जो मेरा हाल बदल देता है,
तूम दिसम्बर की तरह हो जो पूरा साल बदल देता है।
क्यूं बोझ हो जाते है वो झुके हुए कंधे साहब,
जिन पर चढ़कर तुम कभी मेला देखा करते थे।
हिसाब किताब हमसे ना पूछ अब, ऐ ज़िन्दगी,
तूने सितम नहीं गिने, तो हमने भी ज़ख्म नहीं गिने।
हासिल कर के तो हर कोई मोहब्बत कर सकता है,
बिना हासिल किए किसी को चाहना.. कोई हम से पूछे।
गलत सुना था की इश्क आँखों से होता है,
दिल तो वो भी ले जाते है जो पलकें तक नहीं उठाते।
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