ये आशिको का ग्रुप है जनाब..
यहाँ दिन सुरज से नही दीदार से हुआ करते है।
न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
उम्र कैद की तरह होते हे कुछ रिश्ते,
जहा जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नही।
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग,
दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते।
कभी कुछ रिश्ते इस कदर घायल कर देंते है,
की अपने ही घर लौट पाना मुश्किल हो जाता है।
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