इश्क ने कब इजाजत ली है आशिक़ों से,
वो होता है, और होकर ही रहता है।
अभी तो साथ चलना है समंदरों की लहरों मॆं,
किनारे पर ही देखेंगे किनारा कौन करता है।
लिखनी पड़ेगी फिर से इस मुल्क़ की तारीख़,
हालात ने तो मुल्क़ का नक़्शा बदल दिया।
दिल में सब को आने देता हूँ शक न कर,
लेकिन तू जहाँ बसती है वहाँ किसी को नही जाने देता।
वो उम्र भर कहते रहे, तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं,
दिल का दौरा क्या पड़ा, ये दाग भी धुल गया।
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