तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको,
आंसू तो रोज गिर कर सूख जाते है।
तहजीब की मिसाल गरीबो के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है लेकिन सर पे है।
मुझे परखने में तूने पूरी जिंदगी लगा दी,
काश कुछ वक्त समझने में लगाया होता।
रहनुमाओं ने ही भटकाये है जिंदगी के रास्ते,
रूह उतरी थी ज़मीं पे मँजिल का पता लेकर।
न रख इतना गुरूर अपने नशे में ए शराब,
तुझसे ज़्यादा नशा रखती है आंखे मेरे महबूब की।
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