काँच सा था तो हमेशा तोड़ देते थे मुझे,
अब तोड़ के दिखाओ कि अब पत्थर सा हूँ मैं।
नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो,
मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो।
इश्क था इश्क, भला कैसे गवारा करते,
ये कोई निकाह नही जो दोबारा करते।
लो इबादत रखा अपने रिश्ते का नाम,
यारा, मुहब्बत को तो लोगों ने बदनाम कर दिया है।
अदब-ऐ-वफ़ा भी सीखो मोहबत की दरगाह में,
फकत यूं ही दिल लगाने से, दिलो में घर नहीं बनते।
तुझमें हमेशा खुदा का अक्स देखा है मैंने,
मेरा इश्क़ तो कब का मुकम्मल हो गया।
मेरी फितरत में नहीं है किसी से नाराज होना,
नाराज वो होते है जिसे खुद पर गुरुर होता है।
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया।
सारी दुनिया के रूठ जाने की परवाह नहीं मुझे,
बस एक तेरा खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है।
तेरी मोहब्बत की बाजी को यारा हम मान गए,
खुद तो वादों से बंधे नही हमे ही यादों से बांध गए।
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