तुम लौटकर आ जाना जब भी तुम्हारा दिल करे,
सौ बार भी लौटोगे तो हमें अपना ही पाओगे।
अजनबी तो हम जमाने के लिए हैं,
आपसे तो हम शायरियों में मुलाकात कर लेते हैं।
ज्यादा कुछ नहीं बदला उम्र बढ़ने के साथ,
बचपन की ज़िद समझौतों में बदल जाती है।
एक खूबसूरत कहानी रात के आगोश में पनाह लेगी,
चाँद निकाह कराएगा और चाँदनी गवाही देगी।
बहुत ख़ास थे कभी हम किसी की नज़रों में,
मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर ही कितनी लगती है।
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