कहीं यादों का मुकाबला हो तो बताना जनाब..
हमारे पास भी किसी की यादें बेहिसाब होती जा रही हैं।
जिन्दगी के पन्ने कोरे ही अच्छे थे,
तुमने सपनो की सिहाई बिखेर कर दाग दाग कर दिया।
उनसे से अब कोसों दूर रखना मुझे ए खुदा,
यूँ बार बार बेवफाओं का सामना मेरे बस की बात नहीं।
ज़हर का भी अजीब हिसाब है साहेब.. मरने के लिए ज़रा सा,
मगर ज़िंदा रहने के लिए बहुत सारा पीना पड़ता है।
अपना दर्द सबको न बताएं साहब,
मरहम एक आधे घर में होता है, नमक घर घर में होता है।
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