करीब आने की ख्वाहिशें तो बहुत थी मगर,
करीब आकर पता चला की मोहब्ब्त फासलों में है।
रोकना मेरी हसरत थी और जाना उसका शौक,
वो शौक पूरा कर गए, मेरी हसरतें तोड़ कर।
फांसला रख के भी क्या हासिल हुआ,
आज भी मैं उसका ही कहलाता हूँ।
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भी अपनी जिद्द बना लो।
तुझे बर्बाद कर दूंगी, अभी भी लौट जा वापिस,
मोहब्बत नाम है मेरा, मुझे कातिल भी कहते हैं।
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