जाते वक्त वो हाथ तक मिलाकर न गई,
मैंने चाहा था जिसे सीने से लगाकर रोना।
तुम्हें लगता था की मैं जानता कुछ भी नहीं,
मुझे पता था की रास्ता बदल रहे हो तुम।
हमने तो नफरतो से ही सुर्खिया बटोर ली जनाब
सोचो अगर मोहब्बत कर लेते तो क्या होता।
अकेला छोड़ दो मुझे या फिर मेरे हो जाओ,
मुझे अच्छा नहीं लगता कभी पाना कभी खोना।
बला की कशिश थी चाहतों में उसकी,
उसने याद वहां किया मदहोश हम यहाँ हुए।
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