गर सच्ची हो मोहब्बत तो खत्म होना मुश्किल है,
नशा कितना भी करलो भूलना नामुकिन है।
उसकी रूह में सन्नाटा है और मेरी आवाज़ में चुप्पी
वो अपने अंदाज़ में चुप, मैं अपने अंदाज़ में चुप।
ये जो तुम मुझसे बात नहीं करते,
ये नफरत की निशानी है या प्यार हो जाने का डर।
अब मेरा हाल चाल नहीं पूछते हो तो क्या हुआ,
कल एक एक से पूछोगे की उसे हुआ क्या था।
हाथ थामे रखना, दुनियाँ में भीड़ भारी हैं,
खों ना जाऊ कही मैं, ये जिम्मेदारी तुम्हारी हैं।
No comments:
Post a Comment