लिखते हैं सदा उन्हीं के लिए,
जिन्होंने हमें कभी पढ़ा ही नहीं।
दुआ करना दम भी उसी दिन निकले,
जिस दिन तेरे दिल से हम निकले।
मिला है सब कुछ तो फरियाद क्या करे,
दिल हो परेशान तो जजबात क्या करे।
तुम सोचते होगे की आज याद नहीं किया,
कभी भूले ही नहीं तो याद क्या करे।
लाखों अदाओं की अब जरुरत ही क्या है,
जब वो फ़िदा ही हमारी सादगी पर है।
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