Wednesday, October 24, 2018

2 Line collection in hindi

एक गफ़लत सी बनी रहने दो, हर रिश्ते में..
किसी को इतना न जानो कि जुद़ा हो जाये।

क्या बेचकर हम ख़रीदें फ़ुर्सत-ऐ-जिंदगी,
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है ज़िम्मेदारी के बाज़ार में।

पूछने से पहले ही.. सुलझ जाती हैं सवालों की,
गुत्थियां.. कुछ आँखें इतनी हाजिर जवाब होती हैं।

जिसने कतरे भर का भी किया है एहसान हम पर,
वक्त ने मौका दिया तो दरिया लौटाएँगे हम उन्हें। 

तेरी यादों की नौकरी में, गज़ल की पगार मिलती है,
खर्च हो जाते हैं झूठे वादे, व़फा कहाँ उधार मिलती है।

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