खरीद पाऊँ खुशियाँ उदास चेहरों के लिए,
मेरे किरदार का मोल इतना करदे खुदा।
तड़प रहे है हम तुम्हारे एक अल्फाज के लिए,
तोड़ दो ख़ामोशी मुझे ज़िंदा रखने के लिए।
उसके लिये तो मैंने यहां तक दुआएं कि है..
उसे कोई चाहे भी तो.. बस मेरी तरह चाहे।
कोई समझे तो एक बात कहूँ साहब,
तनहाई सौ गुना बेहतर है मतलबी लोगों से।
तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है,
तुम्हारी सो के गुजरी है, हमारी रो के गुजरी है।
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