वक़्त ने कहा, काश थोड़ा और सब्र होता,
सब्र ने कहा, काश थोड़ा और वक़्त होता।
जिस्म से रूह तक जाए तो हकीकत है इश्क,
और रूह से रूह तक जाए तो इबादत है इश्क़।
शौंक नहीं है मुझे अपने जज़्बातों को यूँ सरेआम लिखने का,
मगर क्या करूँ अब जरिया ही ये है तुझसे बात करने का।
वापस लौट आया है हवाओं का रुख मोड़ने वाला,
दिल में फिर उतर रहा है दिल तोड़ने वाला।
रहने लगा है ऐसा ही मेरा हाल अक्सर,
अब आँखों से बह जाते हैं ख्याल अक्सर।
तमन्ना मचल रही है थोड़ा सा साथ दे दो,
बदले में ले लो सांसे मुझे अपना हाथ दे दो।
मौहब्बत कोई तस्वीर नहीं जनाब जो देख लोगे,
एक एहसास है जो चुपके से दिल में दस्तक देता है।
शायरी नहीं, यह लफज़ो में लिपटे मखमली..
अहसास हैं हमारे सिर्फ उनके लिए जो बेहद खास हैं हमारे।
जिंदगी की रफ्तार बहुत तेज चलती है साहब,
एक दिन कुछ ना लिखो तो लोग भुलने लगते हैं।
मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर,
ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।
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