दूरियाँ जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गयी।
फिर तुमने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नही।
जिद कर ही बैठे हो जाने की, तो ये भी सुन लो,
खैरियत मेरी.. कभी गैरों से मत पूछना..!!
दोष कांटो का कहाँ हमारा है जनाब,
पैर हमने रखा वो तो अपनी जगह पे थे।
सिर्फ बेचैनीयाँ लिखी जाती हैं दिल की,
लफ्जों से पूरी कहा होती है कमी सनम तेरी।
बहक न जाए आज लौ की नीयत कही..
यारो उससे कहना होंठों से यू वो दीप बुझाया न करे।
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