ना देख अपने नज़रिये से दुनिया को
ऐ-दिल, यहाँ सबका अपना-अपना नज़रिया है।
धुआँ बन के मिल जाओ हवाओं में तुम,
साँस लेकर तुम्हें दिल में उतार लेंगे हम।
हमने कब माँगा है तुमसे अपने वफाओ का सीला,
बस दर्द देते रहा करो मोहब्बत बढ़ती जायेगी।
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी।
मुहब्बत से भरी कोई गजल पसंद ही नहीं उन्हें,
बेवफाई के हर शेर पर मगर दाद दिया करते हैं।
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