महफ़िल में चल रही थी हमारे कत्ल की तैयारी,
हम पहुँचे, तो बोलें बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी।
जो दिखाई देता वो हमेशा सच नहीं होता..
कही धोखे में आँखे है तो कही आँखों में धोखा है!
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही,
लेकिन रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं।
दीवारें छोटी होती थी, फ़क़त एक पर्दा होता था,
ताले की ईजाद से पहले सिर्फ भरोसा होता था।
एक तिल का पहरा भी जरूरी है लबो के आसपास,
मुझे डर है कहीं तेरी मुस्कुराहट को कोई नज़र न लगा दे।
No comments:
Post a Comment