मैंने तो सुना था सब्र का फल मीठा होता है,
सब्र तो बहुत कर लिया तुम क्यूँ नही मिले।
अपनों की भीड़ में भी सभी पराए मिलते हैं,
तेरे शहर में सभी तन्हाई के सताए मिलते हैं।
इतना क्यों सिखाये जा रही हो ए जिंदगी,
हमे कौन सी सदियाँ गुज़ारनी है यहाँ।
मुझको पढ़ना हो तो मेरी शायरी पढ़ लो,
लफ्ज़ बेमिसाल ना सही जज़्बात लाजवाब होंगे।
तेरे मुस्कुराने का असर मेरी सेहत पर होता है,
और लोग पूछते है दवा का नाम क्या है।
No comments:
Post a Comment