मुहब्बत का सबक बारिश से सीखो,
जो फूलो के साथ काँटो पर भी बरसती है।
जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है,
तुम चुप हो मुझ से और मैँ चुप हूँ सबसे।
तेरा इश्क़ ऐसा जैसे बंधन पाँव का,
मेरा इश्क़ ऐसा जैसे संबंध छाँव का।
क्या खूब होता अगर दुख रेत के होते,
मुठ्ठी से गिरा देते पैरो से उड़ा देते।
नहीं मांगता ऐ खुदा कि जिंदगी सौ साल की दे,
दे भले चंद लम्हों की लेकिन कमाल की दे।
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