आए हैं वो मरीज़-ए-मोहब्बत को देख कर,
आँसू बता रहे हैं कोई और बात हो गयी।
थोड़े और की आरजू तो मरते दम तक रहेगी,
चंद ख्वाइशों से पूरी कहां होगी हसरत।
इश्क़ के तोहफ़े तुम क्या जानो सनम,
तुमने तो इश्क़ भी ऐसे किया जैसे खरीदा हो।
सूरज की किरणों से मिट्टी भी सुनहरी हो जाती है
सोहबते सचमुच कमाल करती हैं
तुम्हारा ख्याल भी एक महक की तरह है,
एक बार आ जाए, तो पूरा दिन मेरे ज़हन में रहता है
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