तेरी खूबसूरती की तारीफ में क्या लिखूं,
कुछ खूबसूरत शब्दों की अभी तलाश है मुझे।
उसकी बेवफ़ाई पर ही फिदा था दिल अपना,
खुदा जाने उसमें वफ़ा होती तो क्या होता।
मेरा कत्ल करने की उसकी साजीश तो देखो,
करीब से गुज़री तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।
कोई ठुकरा दे तू हंस के सह लेना,
मोहब्बत की ताबित में ज़बरदस्ती नहीं होती।
ये वफ़ा तो उस वक्त की बात है ऐ फ़राज़,
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे
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