जरूरतें भी जरूरी हैं, जीने के लिये लेकिन,
तुझसे जरूरी तो, जिदगी भी नही।
सारे घर के उजाले का जिम्मा था मुझ पर,
जब बुझने लगा चिराग तो जलना पड़ा मुझे।
सलूक जो चाहो कर लो मुझ से,
बस याद ये रहे, की में याद सब रखता हूं।
माना के तुम लफ़्ज़ों के बादशाह हो,
पर हम ख़ामोशी पे राज़ करते है।
उसकी बेवफ़ाई पर ही फिदा था दिल अपना,
खुदा जाने उसमें वफ़ा होती तो क्या होता।
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