न जाने कैसे आग लग गई बहते हुए पानी में,
हमने तो बस कुछ खत बहाऐ थे उसके नाम के।
अहमियत दी तो कोहिनूर खुद को मानने लगे,
कांच के टुकड़े भी क्या खूब वहेम पालने लगे।
सौ बार कहा दिल से चल भुल भी जा उसको,
सौ बार कहा दिल ने तुम दिल से नही कहते।
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हे,
बारिश में जिस्म भीगता हैं और मोहब्बत मैं आँखे।
मैं रोज़ लफ़्ज़ों में बयान करता हूँ अपना दर्द,
और सब लोग सिर्फ़ वाह वाह कह कर चले जाते है।
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