किसी का गम, अपना बनाने को जी करता है,
किसी को दिल में, बिठाने को जी करता है,
आज दिल को क्या हुआ, खुदा जाने,
बुझती हुई शमा, फिर जलाने को जी करता है,
आफतों ने, जर्जर कर दिया घर मेरा,
उसकी दरोदीवार, फिर सजाने को जी करता है,
एक मुद्दत गुज़री, जिसका साथ छूटा,
आज फिर, उसका साथ पाने को जी करता है!
किसी को दिल में, बिठाने को जी करता है,
आज दिल को क्या हुआ, खुदा जाने,
बुझती हुई शमा, फिर जलाने को जी करता है,
आफतों ने, जर्जर कर दिया घर मेरा,
उसकी दरोदीवार, फिर सजाने को जी करता है,
एक मुद्दत गुज़री, जिसका साथ छूटा,
आज फिर, उसका साथ पाने को जी करता है!
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