हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए,
हमें दुश्मन भी थोड़ा खानदानी चाहिए।
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ,
जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।
अगर लोग यूँ ही कमियां निकालते रहे तो,
एक दिन सिर्फ खूबियाँ ही रह जायेगी मुझमें।
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर।
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को है हमसे पर,
ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी।
No comments:
Post a Comment