कुछ नेकियाँ ऐसी भी होनी चाहिए,
जिसका खुद के सिवा कोई गवाह ना हो।
छूती है जब सर्द हवाएं मेरे तन मन को,
तो ना जाने क्यूँ एहसास तुम्हारा होता है।
इबादत में ना जो फायदा तो यूँ भी होता है,
हर नई मन्नत पर दरगाहें बदल जाती है।
तू हर जगह खूबसूरती तलाश ना कर,
हर अच्छी चीज़ मेरे जैसी नहीं होती।
नाख़ून अल्फ़ाज़ों के रोज़ पैने करता हूँ,
ज़ख़्म रूह के सूखे अच्छे नहीं लगते।
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