खींच कर उतार देते हैं उम्र की चादर,
ये कमबख़्त दोस्त कभी बूढ़ा नहीं होने देते।
झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया,
इससे बेहतर था खुलकर रो लिए होते।
लोग पूछते है वजह तेरे मेरे करीब होने की,
बता दे उनको मैं इश्क हूँ और तू मेरी आदत।
तुम मुहब्बत के सौदे बड़े अजीब करते हो,
बस यू नीगाहों से मुस्कुराते हो और दिल खरीद लेते हो।
ये कश्मकश है ज़िंदगी की, कि कैसे बसर करें,
ख्वाहिशे दफ़न करे, या चादर बड़ी करें।
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