महफ़िल में कई शायर है तो सुनाओ,
हमे वो शायरी जो दिल के आर पार हो जाये।
जिसका ये ऐलान है कि वो मज़े में है,
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है।
इश्क न हुआ कोहरा हो जैसे,
तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नहीं।
एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये,
पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नही।
अधूरा ही रह जाता है हर अल्फाज,
मेरी शायरी का तेरे अहसास की खुश्बू के बिना।
No comments:
Post a Comment