खोजती है निग़ाहें उस चेहरे को,
याद में जिसकी सुबह हो जाती है।
चलो हो गयी रात अब फिर,
दिल के किसी कोने में उसकी याद उमड़ आएगी।
खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से,
दर्द जान जाओगे जब कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से।
ऐ चाँद चला जा क्यूँ आया है तू मेरी चौखट पर,
छोड़ गया वो शख्स जिस के धोखे मे तुझे देखते थे।
ये नज़र चुराने की आदत आज भी नहीं बदली उनकी,
कभी मेरे लिए ज़माने से और अब ज़माने के लिए हमसे।
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