लडखडाया है जीतना वो संभल जायेगा,
वक्त आनें पे वो भी जाहिर बदल जायेगा,
आज कहते हो ये क्या-क्या लिखते हो तुम,
देखना जमाना मेरे गीत जब कल गायेगा।
ज़िन्दगी के उलझे सवालो के जवाब ढूंढता हु,
कर सके जो दर्द कम, वोह नशा ढूंढता हु,
वक़्त से मजबूर, हालात से लाचार हु मैं..
जो देदे जीने का बहाना ऐसी राह ढूंढता हु।
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