Sunday, March 31, 2019

Hindi Poems Poetry

मिला वो भी नही करते मिला हम भी नही करते.
दगा वो भी नही करते दगा हम भी नही करते.
उन्हे रुसवाई का दुख हमे तन्हाई का डर
गिला वो भी नही करते शिकवा हम भी नही करते.
किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर
रुका वो भी नही करते ठहरा हम भी नही करते.

जब भी देखते हैं उन्हे सोचते है कुछ कहें उनसे.
सुना वो भी नही करते कहा हम भी नही करते.
लेकिन ये भी सच है की मोहब्बत उन्हे भी हे हमसे
इकरार वो भी नही करते इज़हार हम भी नही करते.

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