कोई नहीं याद करता वफ़ा करने वालो को,
मेरी मानों बेवफा हो जाओ जमाना याद रखेगा।
घमण्ड से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं,
कुछ रिश्ते.. कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता।
गुलशन तो तू है मेरा बहारों का मैं क्या करूँ,
नैनों मैं बस गए हो तुम नज़ारों का मैं क्या करूँ।
तुझे तो प्यार भी तेरी ओकात से ज्यादा किया था,
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
मेरे दर्द का जरा सा हिस्सा लेकर तो देखो,
सदियों तक याद करते रहोगे तुम भी जनाब।
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