उससे मोहब्बत और भी बढ़ गयी,
जबसे पता चला है कि हमारा साथ हमेशा नहीं रहेगा।
इबादतखानो में क्या ढूंढते हो मुझे,
मैं वहाँ भी हूँ, जहाँ तुम गुनाह करते हो।
ये कभी मत कहना की वक्त मेरी मुठ्ठी में कैद है,
मैंने बरसों की मोहब्बत को पल में टूटते देखा है।
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है,
सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है।
अगर रातों को जागने से होती ग़मों में कमी,
तो मेरे दामन में खुशियों के सिवा कुछ नहीं होता।
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