एक पहर भी नहीं गुज़रा तुझसे रुखसत होकर,
और यूँ लग रहा है कि जैसे सदियां गुज़र गई।
वो शख्स मेरे हर किस्से कहानी में आया,
जो मेरा हिस्सा होकर भी मेरे हिस्से ना आया।
मुझे कुछ भी नहीं कहना फ़क़त इतनी गुज़ारिश है,
बस उतनी बार मिल जाओ के जितना याद आते हो।
नजर अंदाज ही करना चाहते हो तो हट जाते है नजर से,
एक दिन इन्हीं नज़रों से ढूंढोगे जब हम नजर नहीं आयेंगे।
गम की उलझी हुई लकीरों में अपनी तक़दीर देख लेता हूँ,
आईना देखना तो दूर रहा बस तेरी तस्वीर देख लेता हूँ।
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