अंदर.. कोई झांके तो टुकड़ो में मिलेंगे,
यह हंसता हुआ चेहरा तो ज़माने के लिए है।
मेरी तक़दीर संवर जाती उजालों की तरह,
आप मुझे चाहते अगर चाहने वालों की तरह।
साँसे तो हम.. बस दिखाने के लिए लेते हैं,
वरना ज़िन्दगी तो.. हमारी तुम ही हो।
मैं याद तो हूँ उसे पर ज़रूरत के हिसाब से,
लगता है मेरी हैसियत भी कुछ नमक जैसी है।
तोड़ेंगे गुरुर इश्क का और इस कदर सुधर जायेंगे,
खडी रहेगी मोहब्बत रास्ते पर हम सामने से गुजर जायेंगे।
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