एक दाना मोहब्बत का क्या बोया मैंने,
सारी फसल ही दर्द की काटनी पड़ी मुझे।
परदा तो होश वालों से किया जाता है हुज़ूर,
तुम बे-नक़ाब चले आओ हम तो नशे में हैं।
अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते,
पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नहीं जाते।
मैं मर जाऊं तो रोना मत.. बस ज़रा सा,
मुस्कुरा दोगे तो मुझे सुकून मिल जाएगा।
एहसास ना रहे तो रिश्तों को तोड़ देना बेहतर है,
ताल्लुक़ जब तकल्लुफ़ बन जाए तो बोझ सा लगता है।
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