ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन!
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन!
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन!
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन!
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन!
न मैं राजी, न तुम राजी,
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन!
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन!
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन!
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन!
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन!
न मैं राजी, न तुम राजी,
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