यह जिंदगी भी अगरबत्ती की तरह है,
महकती कम सुलगती ज्यादा है।
तेरी नियत नहीं थी साथ चलने की,
वरना साथ निभाने वाले रास्ता देखा नहीं करते।
हमसे बिछड़कर अब वो खुश रहने लगे है,
अफ़सोस की हमने उनकी ये ख़ुशी छीन रखी थी।
तुम्हें ही सहना पडेगा गम जुदाई का,
मेरा क्या है मैं तो मर जाऊँगा।
कुछ तो धड़कता है रुक रुक कर मेरे सीने में,
अब ख़ुदा ही जाने वो तेरी याद है या मेरा दिल।
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