Saturday, January 19, 2019

Hindi Poems Poetry

गोवर्धन की रोटी, बरसाने की दाल।
छप्पन भोग में भी नही ऐसा कमाल।
गोवर्धन का आचार।
बदल देता है विचार।
गोवर्धन का पानी।
शुद करे वाणी।
गोवर्धन के फल और फूल।
उतार देती है जन्मों-जन्मों की घूल।
गोवर्धन की छाया।
बदल देती है काया।
गोवर्धन का रायता।
मिलती है चारों और से सहायता।
गोवर्धन के आम।
नई सुबह नई शाम।
गोवर्धन का हलवा।
दिखाता है जलवा।
गोवर्धन की सेवा।
मिलता है मिश्री और मेवा।
मानसीगंगा का स्नान।
चारों धाम के तीर्थ के समान।
गोवर्धन को जो सजाऐ।
उस का कुल् सवर जाये।
गोवर्धन का जो सवाली।
उसकी हर दिन होली हर रात दीवाली।।
बोलो गोवर्धन नाथ की जय।।

No comments:

Post a Comment