Thursday, January 24, 2019

2 Line collection in hindi


बेहद लाचारी का आलम था उस वक्त साहब,
जब मालुम हुआ की ये मुलाक़ात आखरी है।



तू इस कदर साँसों में बस गया है मेरे..
कि तेरे पास होने का ख्याल भी सुकून दे जाता है।



बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी,
लेकिन दूसरो को रौंदने का हुनर कहां से लाता।



कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर,
वरना इतनी बड़ी दुनिया में तुझसे ही बात क्यों होती।



तू वो ज़ालिम है जो दिल में रह कर भी मेरा न बन सका
और दिल वो काफिर जो मुझमे रह कर भी तेरा हो गया।

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