वक्त की एक आदत बहुत
अच्छी है,
जैसा भी हो, गुजर जाता है!
“कामयाब इंसान खुश
रहे ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब
जरूर हो जाता है
" लब्ज़ ही ऐसी चीज़ है
जिसकी वजह से इंसान
या तो दिल में उतर जाता है
या दिल से उतर जाता है "
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ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं
वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ ,
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !
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जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है,
पर जहाँ से अपने ना दिखे
वो ऊंचाई किस काम की..
कहीं ना कहीं कर्मों का डर है !
नहीं तो गंगा पर इतनी भीड़ क्यों है?
जो कर्म को समझता है उसे
धर्म को समझने की जरुरत ही नहीं
पाप शरीर नहीं करता विचार करते है
और गंगा विचारों को नहीं !
सिर्फ शरीर को धोती है |
"शब्दों का महत्व तो !
बोलने के भाव से पता चलता है ,
वरना "वेलकम" तो
पायदान पर भी लिखा होता है"।
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