दोष कांटो का कहाँ हमारा है जनाब,
पैर हमने रखा वो तो अपनी जगह पे थे।
ये इश्क है जनाब यहा इंसान निखरता भी,
कमाल का है और बिखरता भी कमाल का है।
कितने ही दिल तोड़ती है ये फरवरी,
यूं ही नही बनाने वाले ने इसके दिन घटाये होंगे।
हाल यह है के तेरी याद में गम हूँ,
सब को मेरी और मझे को तेरी पड़ी रहती है।
सच कहू तो में आज भी इस सोच में गुम हूँ,
में तुम्हे जीत तो सकता था जाने हरा क्यों।
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