" लब्ज़ ही ऐसी चीज़ है
जिसकी वजह से इंसान
या तो दिल में उतर जाता है
या दिल से उतर जाता है "
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ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं
वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ ,
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !
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जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है,
पर जहाँ से अपने ना दिखे
वो ऊंचाई किस काम की..
“जीवन” जितना सादा रहेगा...,
“तनाव” उतना ही आधा रहेगा।
लोग कहते हैं खाली हाथ आये हो
और खाली हाथ जाओगे
पर ऐसा नहीं है
लोग भाग्य लेकर आते हैं
और कर्म लेकर जाते हैं
थोडा थक गया हूँ , , ,
दूर निकलना छोड दिया है।
. . . पर ऐसा नहीं है की , , ,
मैंने चलना छोड दिया है ।।
फासले अक्सर रिश्तों में , , ,
. . . दूरी बढ़ा देते हैं।
. . . पर ऐसा नही है की , , ,
मैंने अपनों से मिलना छोड दिया है ।।
हाँ . . . ज़रा अकेला हूँ , , , दुनिया की भीड में।
. . . पर ऐसा नही की , , ,
मैंने अपनापन छोड दिया है ।।
याद करता हूँ अपनों को, ,
. . . परवाह भी है मन में।
बस , कितना करता हूँ , , ,
ये बताना छोड दिया।।
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