Thursday, May 9, 2019

2 Line collection in hindi

लगाई तो थी आग उसकी तस्वीर में रात को,
सुबह देखा तो मेरा दिल छालों से भरा पड़ा था।



कोई कितना ही खुश-मिज़ाज क्यों न हो
रुला देती है किसी की कमी कभी-कभी।



नुमाइश करने से चाहत नही बढ़ जाती,
मुहब्बत वो भी करते है जो इजहार तक नही करते।



वो किताब लौटाने का बहाना तो लाखों में था,
लोग ढुँढते रहें सबूत, पैग़ाम तो आँखों मे था।



ग़म सलीक़े में थे, जब तक हम ख़ामोश थे,
ज़रा ज़ुबां क्या खुली, दर्द बे-अदब हो गए।

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