मन ख्वाहिशों मे अटका रहा,
और ज़िन्दगी हमें जी कर चली गई।
एक चेहरा पड़ा मिला.. रास्ते पर मुझे,
ज़रूर किरदार बदलते वक़्त गिरा होगा।
तुम बहुत दिल-नशीन थे मगर..
जब से किसी और के हो गए हो.. ज़हर लगते हो।
जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था,
तूने जब भी वार किया तो सिर्फ दिल को ही ज़ख्मी किया।
मशहूर होने का शौक किसे है साहब,
हमे तो हमारे अपने ही ठीक से पहचान ले तो भी बहुत हैं।
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