यूँ ना छोड़ जिंदगी की किताब को खुला,
बेवक्त की हवा ना जाने कौन सा पन्ना पलट दे।
जाने लोग मोहब्बत को क्या-क्या नाम देते हैं
हम तो तेरे नाम को ही मोहब्बत कहते हैं।
हम तुम बैठे ही नहीं, इक मुद्दत से संग,
यार गिलासों को कहीं, लग ना जाये ज़ंग।
सुनना चाहते है एक बार आवाज उनकी
मगर बात करने का बहाना भी तो नहीं आता मुझे।
ना आवाज हुई.. ना तमाशा हुआ,
बड़ी ख़ामोशी से टूट गया.. एक भरोसा जो तुझ पर था।
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