बड़ी अजीब है ये मोहब्बत..
वरना अभी उम्र ही क्या थी शायरी करने की।
कोई तो आ के रुला दे कि हँस रहें हैं,
बहुत दिनों से ख़ुशी को तरस रहें हैं।
तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना,
खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है।
धड़कनो मे बस्ते है कुछ लोग,
जबान पे नाम लाना जरूरी नही होता।
उसकी याद आयी है सांसो जरा अहिस्ता चलो,
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता है।
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