आंखे बंद होने से पहले, यदि आंखे खुल जाए,
दावे के साथ कहता हूँ, पूरी ज़िंदगी सुधर जाए।
तहजीब देखता हूं, मै अक्सर गरीबो के घर मे,
दुपट्टा फटा होता है, लेकिन सर पर होता है।
आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े,
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़।
दोस्ती कभी-कभी ऐसे भी निभानी चाहिये,
कुछ बातें बिन कहे भी समझ जानी चाहिये।
यूँ चेहरे पर उदासी ना ओढिये साहब,
वक़्त ज़रूर तकलीफ का है लेकिन कटेगा मुस्कुराने से ही।
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