आईना फैला रहा है ख़ुद, फ़रेब का ये मर्ज़,
हर किसी से कह रहा है, आप सा कोई नही।
कुछ लोग मेरी दुनिया में खुशबू की तरह है,
रोज़ महसूस तो होते पर दिखाई नही देते।
सिर्फ़ दो ही गवाह थे मेरी वफ़ा के, एक वक्त,
और एक वो, एक गुज़र गया और एक मुकर गया।
रुबरु मिलने का मौका नही मिलता,
इसीलिए, शब्दो से नमन कर लेता हूँ अपनो को।
जब ख्वाबों के रास्ते जरूरतों की और मुड जाते है,
तब हमें असल जिंदगी के मायने समझ में आते है।
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